जिगर के टुकड़े की चिंता में 1 घंटा हाईवोल्टेज ड्रामा

सतना | ‘साहब मेरा बच्चा अस्पताल की नर्सें छीन लेंगी, मैं अस्पताल में नहीं जाऊंगी’। आंखों में आंसू और गोद में दुधमुहे बच्चे के साथ जिला अस्पताल के प्रवेश द्वार पर गुरूवार की शाम तकरीबन 5 बजे ऐसी ही गुहार लगाती एक महिला व और उसकी मान मनौव्वल करती नर्सों व पुलिसकर्मियों को देखकर जो भी राहगीर निकलता वह ठिठककर रूक जाता । देखते देखते पुलिस बल भी पहुंच गया और तकरीबन एक घंटे तक समझााइश देते रहे। तकरीबन एक घंटे तक अस्पताल के गेट पर हाईवोल्टेज ड्रामा चला । 

अस्पताल प्रबंधन के अनुसार आदर्श नगर हवाई पट्टी निवासी सविता देवी पत्नी अर्जुन को 3 दिसंबर में जिला अस्पताल में प्रसव के बाद भर्ती किया गया था। दरअसल उसे किसी ने प्रसव पीड़ा से तड़पते हुए पाने पर जिला अस्पताल तक पहुंचाया था जहां एडमिट करने के पूर्व ही उसका प्रसव हो गया। तत्पश्चात अस्पताल प्रबंधन ने उसके नवजात को एसएनसीयू में भर्ती कर लिया जबकि सविता को भी दूसरे वार्ड में इलाज के लिए भर्ती कर लिया गया।

गुरूवार की शाम अचानक सविता अपने वार्ड से निकली और अपने दुधमुहे बच्चे को गोद में उठाकर अस्पताल से बाहर आ गई। ड्यूटीरत अस्पताल कर्मी यह नजारा देखकर बौखला गए और बिना छुट्टी कराए नवजात को लेकर जा रही सविता को रोकना चाहा लेकिन वह अस्पताल के प्रवेश द्वार के सामने सकी सड़क पर आकर ही रूकी और वहीं नवजात को गोद में लेकर बैठ गई। नर्सों ने उसे समझाया भी कि बिना छुट्टी कराए जाना नियमविरूद्ध है लेकिन मानसिक तौर पर अस्वस्थ सविता के दिमाग में बस एक ही बात थी कि अस्पतालकर्मी उसके बच्चे को छीनना चाह रहे हैं।

इसी बीच पुलिसकर्मी भी आ गए और उन्होने भी समझाइश दी लेकिन सविता जाने के लिए तैयार नहीं हुई। तकरीबन एक घंटे तक समझााइश देने के बाद जब उसे भरोसा हुआ तो वह पुन: अस्पताल के भीतर घुसी और बच्चे के साथ स्वयं भी एडमिट हुई। बताया जाता है कि सविता जिस दिन से भर्ती हुई है न तो कोई उससे मिलना पहुंचा है और न किसी ने उसकी कोई खोज खबर ली है। बहरहाल सविता के अस्पताल में एडमिट होने के बाद ड्यूटीरत अस्पतालकर्मियों ने राहत की सांस ली है लेकिन इस घटना को लेकर तकरीबन एक घंटे तक अस्पताल के प्रवेश द्वार पर ड्रामा चलता रहा ।