12 तरह के टैक्स, चलने लायक सड़क तक नहीं

सतना | नगर निगम शहरवासियों से करीब एक दर्जन से ज्यादा तरह के टैक्स वसूलता है। इसमें सम्पत्तिकर - जलकर से लेकर कई अन्य प्रकार के टैक्स शामिल हैं।  निगम शहरवासियों को सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के नाम पर जिस तरह से  टैक्स  ले रहा है उस हिसाब से लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हालत यह है कि शहर में कहीं पैदल चलने लायक सड़क नहीं है। पहले जलावर्धन, अमृत योजना फिर सीवर लाइन और अब गैस पाइप लाइन डालने के लिए एक बार फिर से सड़कों को खोदने की तैयारी चल रही है। 

लगते हैं ये टैक्स 

  • सम्पत्ति कर: वार्षिक भाड़ा मूल्य के हिसाब से 
  • समेकित कर: 200 रुपए प्रति सम्पत्ति 
  • शिक्षा उपकर: वार्षिक मूल्य भाड़ा का तीन प्रतिशत 
  • जल उपभोक्ता प्रभार : सम्पत्तिकर का तीन प्रतिशत
  • नगरीय विकास उपकर: वार्षिक भाड़ा मूल्य का 1 से 2 प्रतिशत
  • अतिरिक्त समेकित कर : सम्पत्तिकर का 15 प्रतिशत 
  • अधिभार 
  • दुकानों का किराया और जीएसटी 
  • होर्डिंग शुल्क, टेड लाइसेंस की फीस, प्रदर्शनी कर
  • भवन अनुज्ञा शुल्क, विकास शुल्क,1 प्रतिशत उपकर
  • सफाई में फाइन,1 रुपए प्रतिदिन कचरा कलेक्शन शुल्क 
  • मैरिज गार्डन व नर्सिंग होम लाइसेंस शुल्क 
  • इसके अलावा कईअन्य शुल्क 

जिस हिसाब से निगम द्वारा टैक्स लिया जा रहा है उस हिसाब से लोगों को कोई सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जो भी अभी सुविधाएं मिल रही हैं वे तमाम बुनियादी सुविधाएं। इनका स्मार्ट सिंटी से कोई लेना - देना नहीं है। टैक्स में लोगों को राहत मिले इसके लिए हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा। प्रयास होगा कि इसमें राहत मिले। 
द्वारिका गुप्ता, चेम्बर अध्यक्ष 

नगर निगम लोगों से सुविधाएं देने के नाम पर कई तरह के टैक्स तो ले रहा है पर उस हिसाब से सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। सुविधा न मिलने के बावजूद जनता निगम के सभी टैक्स देना भी चाहती पर जिस तरह के टैक्सों में बढ़ोत्री हुई है खासकर सम्पत्तिकर की दरों में जनता चाह कर भी जमा नहीं कर पा रही है। टैक्स से जनता को राहत दिलाने के लिए लगातार प्रयास कार्यकाल के दौरान किए गए थे आगे भी जारी रहेंगे। 
प्रसेनजीत सिंह तोमर, निर्वतमान पार्षद

टैक्स के नाम पर नगर निगम तरह - तरह के चार्ज वसूलता है लेकिन सुविधा उस हिसाब से नहीं मिल पा रही है। शहर में कहीं भी सड़कें चलने लायक नहीं हैं। कहीं पर पेयजल सप्लाई के नाम पर तो कहीं पर सीवर लाइन डालने के नाम पर सड़कें खोदी गई हैं। परिषद् ने सम्पत्तिकर की बढ़ी दरें वापस लेने का निर्णय पारित किया था लेकिन राहत नहीं मिल पाई है। 
नीरज शुक्ला, निवर्तमान पार्षद