बाबुओं का कारनामा, गोदाम से गायब कर दी डीपीसी के लिए रखी लाखों रुपए की किताबें
रीवा | पाठ्य पुस्तक निगम में अधिकारियों के कारनामें लगातार उजागर होने लगे है। डीपीसी को देने के लिए लाखों रुपए की आई किताबें जो निगम के गोदाम में रखी गई थी उन्हें निगम के सहायक ग्रेड 3 जीवेन्द्र सिंह परिहार व बाबू विपिन त्रिपाठी ने गायब कर दी। लिहाजा डीपीसी को किताबें नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं गोदाम में आने वाली पाठ्य पुस्तक की किताबों को उतारने के लिए लगाए जाने वाले मजदूरों के नाम पर फर्जी बिल लगाकर राशि का गोलमाल किए जाने का मामला सामने आया है।
पाठ्य पुस्तक निगम में लाखों रुपए के गोलमाल किए जाने के बाद पाठ्य पुस्तक निगम भोपाल में की गई शिकायत के बाद जिन दो बाबुओं का स्थानांतरण किया गया था उन्हें अब तक रिलीव नहीं किया गया। उसका सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है डीपीसी के लिए आई किताबों के गायब हो जाने पर शुरू की गई जांच में इन दोनों को बचाया जा सके। गौर करने वाली बात यह है कि पाठ्य पुस्तक निगम भोपाल से प्रशासनिक आदेश क्रमांक 4/स्थापना/23-01-2020 जीवेन्द्र सिंह परिहार सहायक ग्रेड 3 का स्थानांतरण रीवा से सीधी किया गया था।
वहीं आदेश क्रमांक 70/स्थापना 28-09-2020 विपिन बिहारी त्रिपाठी सहायक ग्रेड 2 का स्थानांतरण भी रीवा से सीधी किया गया है। खास बात यह है कि श्री त्रिपाठी द्वारा सीधी जिले का प्रभार ले लिया गया है परन्तु वह यहां से मुक्त नहीं हो पाए हैं। हर वर्ष पाठ्य पुस्तक निगम में आने वाली लाखों की किताबों की हेराफेरी होती रहती है। लिहाजा इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
पाठ्य पुस्तक निगम में आने वाली पुस्तकों को व्यवस्थित एवं नंबरिंग करने के लिए लगाए जाने वाले श्रमिक के नाम पर फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए की मजदूरी का भुगतान दिखाया गया है। ताज्जुब की बात यह है कि जो बिल जीवेन्द्र सिंह परिहार द्वारा पेश किए गए है उनमें मजदूरों का नाम, कार्य दिवस एवं भुगतान की राशि तो दर्ज है परन्तु किसी मजदूर का हस्ताक्षर रसीद में नहीं है। शिक्षा सत्र 2018-19 की आने वाली पुुस्तकों को व्यवस्थित करने एवं साफ-सफाई के लिए दो रसीद डिपो प्रबंधक के सामने पेश की गई है।
जिनमें श्रमिकों के हस्ताक्षर नहीं है। 1 जून 18 से 6 जून 18 सात श्रमिकों का भुगतान 282 रुपए प्रतिदिन के मान से 11 हजार 844 रुपए का भुगतान किया जाना बताया गया है। वहीं 1 मई 2018 से 15 मई 2018 का भुगतान 29 हजार 610 रुपए का करना बताया गया है। जिसमें श्रमिकों के हस्ताक्षर नहीं है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इनके द्वारा इसी तरह के फर्जी बिल पेश कर लाखों रुपए शासन के गमन किए हैं।
पाठ्य पुस्तक निगम में जीवेन्द्र सिंह परिहार एवं विपिन बिहारी त्रिपाठी द्वारा किए गए फर्जी मजदूरी भुगतान एवं लाखों रुपए के किताब गायब करने के मामले में की गई शिकायत के बाद श्रीमती पुष्पा रैकवार एटीओ तथा दो अन्य बाबू को जांच सौंपी गई है। हालांकि इनके द्वारा अभी तक जांच पूरी की गई है या नहीं यह जानकारी नहीं मिल पाई है।
परन्तु यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों बाबुओं का स्थानांतरण हो जाने के बाद उन्हें कार्य मुक्त नहीं किया गया है। यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। प्रशासनिक स्तर से किए गए सहायक ग्रेड 3 जीवेन्द्र सिंह परिहार एवं सहायक ग्रेड 2 विपिन बिहारी त्रिपाठी को कार्य मुक्त न किए जाने के बाद विभाग के अधिकारी संदेह के घेरे में आ गए हैं। पाठ्य पुस्तक निगम में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही है।
नई किताबों की जानकारी नहीं दे रहे अधिकारी
कोरोना संक्रमण के दौरान किए गए लाकडाउन की अवधि में नई किताबें कितनी आई है एवं कहां रखी गई है इसकी जानकारी भी अधिकारी देने से कतराने लगे हैं। यहां यह बता देना जरूरी है कि पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो में किताबों की हेराफेरी में करोड़ों रुपए की राशि अधिकारियों ने डकारी है। हालांकि नए शिक्षण सत्र में छात्रों की पढ़ाई आॅनलाइन हो रही है। स्कूलें पूरी तरह से अभी बंद है।
ऐसे में छात्रों को पुस्तकें नहीं मिली होगी। परन्तु यह भी सही है कि पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा नए शिक्षण सत्र की तैयारी के लिए पहले से किताबें छापी जाती है जो डिपो में शिक्षण सत्र शुरू होने के पहले ही आ जाती है। ऐसे में वर्ष 2020-21 के लिए भी पाठ्य पुस्तक निगम से डिपो में किताबें आई होगी यह अलग बात है कि छात्रों एवं डीपीसी के लिए कितनी किताबें भेजी गई है इसकी जानकारी अधिकारियों द्वारा अब तक सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
यह जानकारी मुझे नहीं है कि पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो में डीपीसी के लिए वर्ष 2018-19 में किताबें आई थी। क्योंकि मैं उस समय डीपीसी नहीं था। अब यह पता किया जाएगा कि डिपो में कितने कीमत की किताबें आई थी। वह प्राप्त हुई या नहीं इसकी जानकारी ली जाएगी।
संजय सक्सेना, डीपीसी रीवा