दिव्य विचार: सफलता के लिए भरोसा जरूरी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: सफलता के लिए भरोसा जरूरी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि सफलता पाने के लिए सबसे पहली आवश्यकता है श्रद्धा, विश्वास, भरोसा। तुमने कोई कारोबार शुरु किया। कोई बिजनेस चालू कर रहे हो तो आँख मूँदकर कोई भी बिजनेस चुन लेते हो क्या? इंक्वायरी करते हो कि अमुक ने यह व्यापार किया, यह कारोबार बहुत अच्छा है, इस शहर के लिए यह कारोबार बहुत अच्छा है, इसमें यह सम्भावना है, सब चीजें तलाशते हो। ठीक है न? सबसे पहले हमने देखा कि किसने इसमें ग्रोथ किया? एक व्यक्ति को हमने आदर्श बनाया जो इस रास्ते पर चलकर सफल हुआ है, जिसने इस व्यापार से अपने जीवन में उपलब्धि अर्जित की। बहुत स्कोप है, अच्छा स्कोप है, हमें करना चाहिए। मोक्षमार्ग पर चलने वाले देव-शास्त्र-गुरु को देखा, उनके चेहरे की शान्ति पढ़ी, उनके जीवन की प्रसन्नता को पढ़ा, उनके जीवन के आनन्द को देखा, उनके जीवन में झांककर देखा तो लगा कि यहाँ तो केवल अमृत है। अरे ! रास्ता तो यह है, जीवन का असली मजा तो यहीं है। वह हमारे लिए प्रेरणा बने और हम तय कर लिए कि यही रास्ता है।

काले फलन्ति कर्माणि

जिस दिन हमने गुरुदेव को देखा, उस दिन मेरे मन में यही प्रतिक्रिया आई कि जीवन का सबसे अच्छा रूप यही है। श्रद्धा जम गई। यही सबसे अच्छा मार्ग है। मैंने सोच लिया, अभी चलने का नहीं सोचा, यही मेरे आदर्श हैं। पहली भूमिका में हमने जिसको आदर्श माना उस पर श्रद्धा और जिस मार्ग पर मैं चलूँ उस पर मेरी श्रद्धा । अमुक को देखा दुकान खोल ली, हमने भी खोल ली, इनॉग्रेशन हो गया। पहले दिन से दुकान में ग्राहक की लाइन लगने लगती है क्या? बिरलों की लगती है। दुकान खोलते हैं, जमानी पड़ती है, कई-कई दिन ऐसे निकलते हैं कि बौनी भी नहीं होती। फिर क्या होता है? गलत डिसीजन ले लिया, गड़बड़ हो गया, हमने तो सोचा था यह व्यापार बहुत चलेगा, अब सक्सेस नहीं हो रहा है। हमने गलत डिसीजन ले लिया, अब क्या होगा? हमारा पैसा डूब गया, हम सक्सेस नहीं होंगे। ऐसा चिन्तन करने वाले का व्यापार कभी चलेगा? तुम लोग ऐसा करते हो क्या?