संभागीय समीक्षा, आंकड़ों की बाजीगरी में जुटे रहे अफसर

सतना। पंचायत एवं ग्रामीण विकास की संभागीय समीक्षा बैठक की तैयारी में अधिकारी जुटे हुए हैं। सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग की हर शाखा में एजेंडे के अनुसार जानकारी तैयार करने में अमला जुटा रहा। पंचायत प्रकोष्ठ, मनरेगा, मध्यान्ह भोजन, स्वच्छ भारत अभियान सहित एनआरएलएम के अधिकारी पसीना बहाते नजर आए।

ज्ञात हो कि पंचायत मंत्री के साथ अपर मुख्य सचिव को समीक्षा करना है, ऐसे में कमिश्नर रीवा द्वारा जिला पंचायत से अब तक शासन को दी गई योजनाओं की जानकारी में अब तक क्या प्रगति हुई है इसका फीड बैक मांगा गया है। जमीनी स्तर पर क्या कार्य किए गए है, इसका भी निरीक्षण किया जाना है।

ऐसे में जिले के बड़े से छोटे अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि जनपद पंचायतों द्वारा जिला पंचायत में अब तक जो जानकारी भेजी गई है, उसके जमीनी स्तर पर किए जाने वाले निरीक्षण से अधिकारी भयभीत हैं। बताया गया है कि सतन, रीवा, सीधी एवं शहडोल में आजीविका के प्रशिक्षण केन्द्रों का निरीक्षण कर स्व सहायता समूहों से भी मुलाकात करेंगे। केन्द्रीयकृत किचेन शेड व्यवस्था के अंतर्गत अब तक क्या कार्य किए गए हैं तथा उसकी गुणवत्ता क्या है, इसे लेकर विभागीय अधिकारी पशोपेश की स्थिति में हैं। 

22 को होगी वन-टू-वन चर्चा
पंचायत ग्रामीण विकास विभाग की 22 जनवरी को होने वाली संभागीय समीक्षा बैठक में अलग से भी एजेण्डा जारी किया गया है। जिसमें आजीविका मिशन के अंतर्गत कितने प्रशिक्षण दिए गए एवं इसमें कितने रोजगार उपलब्ध कराए गए। सभी संस्थाओं का विवरण मांगा गया है। खास बात यह है कि जिले में आजीविका के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जो प्रशिक्षण देना अधिकारियों द्वारा दर्शाया गया है वह मात्र कागजों में किया गया है। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने शासन को जो जानकारी भेजी है उसमें ऐसे लोगों की संख्या प्रशिक्षण प्राप्त करने में दर्शाई गई है जो वास्तव में अब तक प्रशिक्षण नहीं प्राप्त कर सके हैं।

पंचायत राज पर भी रहेगा फोकस
संभागीय समीक्षा बैठक में संभाग के सभी पंचायत प्रतिनिधियों को दिए गए मानदेय भुगतान की समीक्षा के साथ यह देखा जाएगा कि धारा 40 एवं 92 के अंतर्गत कार्रवाई की स्थिति क्या है। यहां पर यह बता दें कि जिले की कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां पर बगैर कार्य के ही राशि का आहरण कर लिया गया है। कई सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायकों पर धारा 40 एवं 92 के अंतर्गत कार्रवाई प्रस्तावित जरूर की गई है परंतु अभी तक वह मात्र कागजों में ही है। 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को सीधे जा रही राशि से होने वाले निर्माण कार्यों की मानीटरिंग का जिले में क्या मैकेनिज्म है, उस पर भी चर्चा की जाएगी। इतना ही नहीं पंचायतों में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता व अन्य शिकायतों के निराकरण के स्थिति की समीक्षा होगी।

गैर उपयोगी हो गए 8 हजार शौचालय
संभागीय समीक्षा बैठक में पंचायत मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव के द्वारा की जा रही समीक्षा में स्वच्छ भारत मिशन को मुख्य एजेंड़ा रखा गया है। इस एजेंड़ें के अनुसार सतना जिले की बात करें तो जिले में 8 हजार से अधिक शौचालय गैर उपयोगी हो चुके हैं। ये वहीं शौचालय हैं जिनके लिए सरकार के द्वारा 12 हजार की प्रोत्साहन राशि दे कर बनवाया गया था। ठेकेदारी प्रथा से बनाए गए अधिकांश शौचालयों की यही दुर्दशा है। अगर शौचालयों के निर्माण का सत्यापन हो तो यह आंकडा और भी बढ़ सकता है।