अतिथि विद्वानों का धरना जारी: वित्त नियंत्रक के अवकाश में होने से बढ़ रही विवि की परेशानियां

रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के अतिथि विद्वानों ने अपने मानदेय की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखा है। गौरतलब है कि मई महीने से विश्वविद्यालय के डेढ़ सौ से अधिक अतिथि विद्वानों को मानदेय नहीं मिला है। ऐसे में उनके परिवार के भरण पोषण तक न कर पाने की स्थिति निर्मित हो गई है। गुरुवार को भी प्रशासनिक भवन में कुलपति के चेम्बर के बाहर अतिथि विद्वानों ने धरना दिया। ज्ञात हो कि कुलपति के द्वारा समझाइश देने के बाद भी अतिथि विद्वान प्रदर्शन पर अडिग है और वह तब तक धरना देने की बात कह रहे हैं जब तक उनका वेतन भुगतान नहीं हो जाता है।

गौरतलब है कि वित्त नियंत्रक के अवकाश पर जाने के कारण नवंबर माह के वेतन का भुगतान कर्मचारियों और शिक्षकों को नहीं हो सका है। गुरुवार को विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ ने अल्टीमेटम देते हुए प्रशासन को कहा है कि यदि 1 दिन के अंदर वेतन भुगतान नहीं किया जाता है तो कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगा। कर्मचारी संघ का कहना है कि विश्वविद्यालय परिनियम में इस बात का उल्लेख है कि वित्त नियंत्रक की अनुपस्थिति में उसके दायित्व का निर्वहन कुलसचिव द्वारा किया जाएगा।  पहले भी इसी प्रकार की परंपरा रही है, परंतु कुलसचिव और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जानबूझकर यह परिस्थिति निर्मित की गई है जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

कर्मचारी हो रहे परेशान
कर्मचारियों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है की शादी ब्याह के अवसर पर कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो उनके सामने सामाजिक समस्याएं विकराल रूप धारण करेंगी। उधर प्रो. अतुल पांडे द्वारा इस बात का उल्लेख कर वित्त नियंत्रक का प्रभार लेने से मना कर दिया गया कि पूर्व वर्षों में कभी भी वित्त नियंत्रक का प्रभार किसी शिक्षक को नहीं दिया गया है। वे पहले से ही अनेक जिम्मेदारियों के बोझ से दबे हैं ऐसे में वित्त नियंत्रक के रूप में कार्यभार ग्रहण कर पाना संभव नहीं।

पता चला है कि वित्त नियंत्रक के परिनियम में इस बात का उल्लेख है कि वित्त नियंत्रक कुलसचिव के निर्देशन पर विश्वविद्यालय के समस्त आय और व्यय, देयकों, संपत्तियों का रखरखाव करेगा। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय के एक ऐसे वरिष्ठ शिक्षक जो प्रबंध संकाय के संकाय अध्यक्ष भी हैं और कार्य परिषद के सदस्य भी हैं किसी भी स्थिति में कुलसचिव के नियंत्रण में कैसे कार्य कर सकेंगे।

उप कुलसचिव कर रहे हैं आनाकानी
उधर अतिथि विद्वानों द्वारा भी इस मामले में आंदोलन किया जा रहा है। ज्ञात हुआ है कि कुलपति द्वारा अतिथि विद्वानों को समझाइश दी गई है वित्त नियंत्रक के वापस आने तक संयम रखें। उन्होंने यह भी कहा कि पारिवारिक कारणों से वे भी छुट्टी पर जाने वाले हैं। ऐसी स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था किया जाना संभव नहीं है। लेकिन अतिथि विद्वानों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर ऐसा कर रहा है।

 उधर वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि विश्वविद्यालय द्वारा कार्यपरिषद के निर्णय अनुसार मानवीय आधार पर डेढ़ करोड़ का भुगतान किया जाना शासकीय धन राशि का दुरुपयोग होगा।  इसलिए वित्त नियंत्रक और उसकी अनुपस्थिति में उपकुलसचियों द्वारा प्रभार लेने में आनाकानी की जा रही है ताकि आगे चलकर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप न लगे।