गुरु और शनि नजदीक दिखाई देंगे, 800 साल बाद बन रहा संयोग
सतना | गुरु व शनि दो बड़े ग्रह इन दिनों मकर राशि में संचार कर रहे हैं। 59 साल बाद इन दोनों ग्रहों का एक साथ मकर राशि में मिलन हुआ है। लेकिन इन सबसे बढ़कर इस बार ऐसा संयोग बनने जा रहा है जो 800 साल बाद घटित होगा। मैहर के ज्योतिषाचार्य पं. मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार आगामी 16 दिसंबर से 25 दिसंबर के बीच आकाश में गुरु और शनि बेहद निकट दिखाई देंगे। सामान्यत: लगभग 20 वर्ष के बाद ये दोनों बड़े ग्रह एक साथ एक राशि में युति करके आकाश में नजदीक दिखाई देते हैं, जितना आज से पहले मार्च 1226 में दिखाई दिए थे।
पं. मोहनलाल ने बताया कि बृहस्पति और शनि का कंजेक्शन 21 दिसम्बर को होने वाला है। इसका अर्थ यह है कि दोनो ग्रह आकाश में सबसे करीब होंगे। अभी भी यह दोनों ग्रह पश्चिम दिशा में सूर्यास्त के बाद दिखाई देते हैं। धीरे-धीरे इनकी दूरी कम होती जाएगी और 21 दिसंबर के दिन केवल 0.1 डिग्री की दूरी पर रहेंगे। यह दोनों ग्रह सौरमंडल में सूर्य से काफी दूरी पर परिक्रमा करते हैं, इसीलिए इस प्रकार का कंजेक्शन 20 वर्षों बाद दिखता है।
21 दिसंबर के दिन इस साल शनि-गुरु सबसे निकट होंगे जो कि खगोल-विज्ञानियों के साथ-साथ ज्योतिषियों के लिए भी कौतूहल का विषय होगा। पांचवीं सदी में लिखे गए मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ बृहत्संहिता के हवाले से पं. मदनमोहन शास्त्री बताते हैं कि तारा ग्रहों मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि की एक अंशों और क्रांति पर होने वाली युति को ‘ग्रह-युद्ध’ कहा गया है। सम्राट विक्रमादित्य के राजज्योतिषी वराहमिहिर द्वारा रचित बृहत्संहिता के ‘ग्रह-युद्ध’अध्याय में कहा गया है कि जब दो ग्रह इतने निकट आ जाएं कि धरती से देखने पर दोनों के बिंब एकीभूत हो जाएं तब ‘भेद-युति’ होती है यानी दोनों ग्रहों को नग्न आंखों से देखने पर भेद नहीं किया जा सकता।
नजर आएंगे बड़े मौसमी और राजनीतिक परिवर्तन
ज्योतिषाचार्य पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि शनि और गुरु की युति लगभग 800 वर्ष के बाद ही होती है तो इनके बिंबो का अति निकट आना एक विलक्षण घटना है। बृहत्संहिता के अनुसार भेद युति के कारण बड़े मौसमी परिवर्तन होते हैं। बड़े घरानों और दलों में फूट पड़ती है। शनि-गुरु की इस भेद युति के कारण अगले एक वर्ष में में बड़े औद्योगिक घरानों और बड़े राजनीतिक दलों में फूट पड़ सकती है। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े और जनवरी में सर्दी पिछले कई दशकों का रिकार्ड तोड़ेगी।
मकर राशि में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति इस राशि से प्रभावित क्षेत्र जैसे उत्तर-पश्चिमी भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में सर्दी के कोप से आम-जनता को बेहद कष्ट देने वाली होगी। इसके साथ-साथ इन देशों में राजनीतिक उठा-पटक और जनांदोलनों की संभावना भी अगले एक वर्ष तक रहेगी। मिथुन राशि से प्रभावित अमेरिका के अष्टम भाव में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति वहां की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख देगी जिससे यूरोप के देश भी मंदी की चपेट में आएंगे। वैश्विक मंदी का प्रभाव अगले पांच महीनों तक भारत पर भी गंभीर रूप से दिखाई देगा