नगर निगम चुनाव: रीवा में आरक्षण मुक्त मेयर पद, सियासी पारा गरमाया
रीवा | नगर निगम रीवा में मेयर का पद आरक्षण मुक्त होने के साथ ही निकाय चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा। बुधवार को भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों की निगाहें भोपाल पर टिकी रहीं। दोपहर जैसे ही नगर निगम आरक्षण का ब्योरा सार्वजनिक हुआ, सामान्य श्रेणी के नेताओं की आंखें चमक उठीं। हालांकि अभी चुनाव की तिथि का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक हलकों में उम्मीदवारी को लेकर दलगत उठापटक शुरू हो गई।
नगर पालिक निगम चुनाव के इतिहास में महापौर का पद अनारक्षित दूसरी बार हुआ है। इसके पूर्व 2004 में यह पद सामान्य रहा। बहरहाल डेढ़ दशक बाद होने जा रहे चुनाव में दो प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस में दावेदारों की लम्बी सूची है। इस बार कई दमदार चेहरे टिकट की दौड़ में दलीय संघर्ष करते नजर आएंगे। आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही कई नए पुराने चेहरे टिकटार्थियों की रेस में शामिल होने लगे हैं।
अब तक भाजपा का रहा है कब्जा
जब से नगर पालिक निगम में मेयर पद का चुनाव सीधे जनता के मतों से होने लगा है तब से रीवा में मेयर पद पर भाजपा का कब्जा रहा है। पहली बार राजेन्द्र ताम्रकार जनता से सीधे निर्वाचित हुए थे। जबकि इसके पहले पार्षदों के द्वारा चुने गए पहले मेयर अमीरउल्ला खान थे। जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कभी दूसरे, कभी तीसरे स्थान पर रही है।
भाजपा में नए-पुराने दावेदारों का जमघट
भाजपा का गढ़ बन चुके नगर निगम क्षेत्र में इस बार दावेदारों का जमघट लगने वाला है। पार्टी में नए और पुराने दावेदारों की संख्या आधा दर्जन से ऊपर जा सकती है। हालांकि टिकट संगठन और सत्ता के समन्वय से तय होगा। लेकिन दावा करने वालों का जोश बढ़ गया है। दावेदारों में प्रमुख रूप से व्यंकटेश पाण्डेय, मनीषा पाठक, अनिल दुबे, अरुण तिवारी मुन्नू, नए चेहरे माने जा रहे हैं। जबकि वरिष्ठ नेताओं में पूर्व मेयर वीरेन्द्र गुप्ता सबसे आगे चल रहे हैं। इसके अलावा पूर्व महापौर कमलजीत सिंह डंग भी मैदान में कूदने का माद्दा रखते हैं।
कांग्रेस में खम ठोकने तैयार हैं कई चेहरे
नगर निगम के सियासी बिसात पर खम ठोकने कांग्रेस में भी कई दमदार चेहरे तैयार बैठे हैं। कांग्रेस में प्रमुख रूप से नेता प्रतिपक्ष के रूप में प्रभावशाली भूमिका निभा चुके अजय मिश्रा बाबा, डॉ. मुजीब खान, शिवप्रसाद प्रधान, मानवेन्द्र सिंह नीरज के अलावा जिला शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुरुमीत सिंह मंगू, पूर्व विधायक अभय मिश्रा, छात्र नेता सुबोध पाण्डेय प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा गत चुनाव में पार्टी से बगावत कर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुकीं वर्तमान महिला कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष कविता पाण्डेय की ख्वाहिशें भी परवान चढ़ रही हैं। इसके अलावा पूर्व प्रत्याशी प्रियंका तिवारी भी दावेदारों की फेहरिश्त में शामिल हैं।
लीजेण्ड नेताओं के भी जागे अरमान
पार्टी के लीजेण्ड नेता माने जा रहे चेहरे भी मेयर पद अनारक्षित होने के बाद दौड़ में भाग लेना चाहते हैं। इनमें एड. रावेन्द्र मिश्रा, राकेश सिंह एवं कमलेश्वर सिंह, प्रबोध व्यास, कमलेश सचदेव प्रमुख हैं। पार्टी के लिए काम करने वाले इन नेताओं को अभी तक कुछ खास हाथ नहीं लगा है। गौर करने वाली बात यह है कि रावेन्द्र मिश्रा और राकेश सिंह दो ऐसे चेहरे हैं जिन्हें भारतीय जनता पार्टी की राजनीति विरासत में मिली थी।
पं. कौशल प्रसाद मिश्रा और मणिराज सिंह जनसंघ से भाजपा के नए स्वरूप के रीवा में पितृ पुरुष माने जाते हैं। इनके योगदान को पार्टी हमेशा स्मरण करती रहती है लेकिन भाजपा की राजनीति करने वाले इन दोनों नेताओं के पुत्रों को कभी मौका नहीं दिया गया। जबकि कमलेश्वर सिंह पार्टी के युवा मोर्चा से लेकर जिला अध्यक्ष के रूप में संगठन में पहली पंक्ति के नेता रहे।