धान उपार्जन: अधिक मात्रा ही नहीं, तौल के नाम भी ले रहे नगदी

सतना | पिछले एक पखवाड़े से जिले में सवा सौ के करीब केन्द्रों में जारी धान उपार्जन में किसानों से 40 के स्थान पर दो से तीन किलो धान की मात्रा तो ली ही जा रही है। साथ ही उससे तौल के नाम पर भी 17 से 20 रुपये तक अधिक वसूली हो रही है। मंगलवार को राघुराजनगर एसडीएम ने शेरगंज और रेउरा खरीदी केन्द्रों में यह गड़बड़ी पकड़ी भी थी पर कार्रवाई कोई नहीं हुई। सही तो यह है कि उपार्जन चाहे धान का हो अथवा गेहूं का पर वहां अपनी जेब हल्की कराना किसानों की नियति में सामिल हो चुका है। ऐसा लगता है कि जैसे यह अवैध वसूली अब अवैध के स्थान पर वैध हो गई हो।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि गेहूं और धान खरीदी के साथ ही समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन की खरीदी पर भी किसान से वसूली होती है। इस बार भले ही वसूली की अधिक शिकायतें नहीं आईं पर इसका मतलब यह नहीं है कि सब ओर सब ठीक है। पिछले मंगलवार को राघुराजनगर एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने दो धान खरीदी केन्द्रों शेरगंज और रेउरा का निरीक्षण किया था।

इस दौरान उन्हें दोनों स्थानों पर निर्धारित क्षमता से ज्यादा धान किसानों से तौलती मिली। केन्द्रों में किसानों से तौलाई के नाम पर पैसा लिए जाने की शिकायतों के मद्दे नजर एसडीएम द्वारा वहां मौजद किसानों से तस्दीक की पर किसी किसान ने पैसे लेने की बात नहीं स्वीकारी। बहरहाल वे मौके पर मौजूद किसानों को तौलाई का कोई पैसा नहीं लगने की जानकारी देकर लौट आये।

मालूम हो कि गेहूं उपार्जन के दौरान जिले में जिला विपणन संघ नागरिक आपूर्ति निगम के लिये खरीदी करता है जबकि धान का उपार्जन नान खुद करा रहा है पर दोनों में केन्द्र की व्यवस्था समितियों के पास रहती है। यही कारण है कि वेजा वसूली नहीं थम रही। इस संबंध में नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक विख्यात हिंडोलिया से सम्पर्क के प्रयास किये गये जो सफल नहीं हो सके।

ऐसा कोई केन्द्र नहीं जहां न रही हो वसूली
इन दिनों धान के उपार्जन का कार्य धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। इसके साथ ही वहां मैसेज मिलने के बाद धान लेकर जाने वाले किसानों से वेजा वसूली की शिकायतें भी बढ़ती जा रही है। बताते हैं कि जिले में चल रहे सवा सौ के करीब शायद ही कोई ऐसा केन्द्र हो जहां किसान से कुछ लिये बिना उपार्जन का काम पूरा हो जाता हो।

कहानी हर केन्द्र की वहीं है बस मात्रा कम अधिक हो सकती है। बताते हैं कि केन्द्र में धान को प्लास्टिक बोरियों में भरने के लिये वहां मौजूद मजदूरों के नाम पर कहीं 17 तो कही 20 रुपये प्रति क्विंटल लिये जाते हैं। इसके अलावा बोरी में मात्रा तो 40 ही लिखी रहती है पर सही तौल 41 से लेकर 43 किलो तक होती है। ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों को कुछ पता नहीं है। सभी को पूरी जानकारी है और कुछ ने तो मौके पर ही जाकर इस वसूली को नजदीक से देखा है पर किसानों को कुछ न देने और खरीदी केन्द्र प्रभारी को कुछ न लेने के निर्देश देकर लौट आए।