विधानसभा में सतना: सदन में गूंजा मंदाकिनी का अतिक्रमण

सतना | इन दिनों विधानसभा में सतना की चर्चा जोरों पर है। सतना से ऐसे कई सवाल विधानसभा में लगाए गए हैं जो सदन के माननीयों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। लोक निर्माण विभाग के तो कई प्रश्न सदन में विधायकों द्वारा लगाए ही गए हैं साथ ही कई अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर विधायकों ने सवाल उठाए हैं। इन्ही मुद्दों में से बड़ा मुद्दा है चित्रकूट से प्रवाहित मंदाकिनी के अतिक्रमण का । इसके अलावा जिले की सरकारी से निजी हुर्इं शासकीय जमीनों का मामला भी विधायकों द्वारा जोर-शोर से उठाया गया है। 

पटवारियों की मिलीभगत 
शासकीय जमीनों के निजी होने का मामला बड़वारा विधायक विजय राघवेंद्र सिंह ने भी उठाते हुए पूछा है कि क्या सतना जिले की शासकीय भूमियों को निजी हक में दर्ज करने की अनेक शिकायतें प्रचलन में हैं तथा सतना कलेक्टर न्यायालय द्वारा अनेक निजी भूमियों को शासकीय मद में दर्ज करने के निर्णय दिए हैं? क्या शासकीय भूमि को निजी स्वत्वों में दर्ज करने में रघुराजनगर तहसील के पटवारियों की मिलीभगत और भूमाफियाओं से सांठगांठ प्रमाणित हुई है? क्या किसी पटवारी को निलंबित किया गया अथवा किसी के खिलाफ एफआईआर हुई?

10 सालों में कितने अतिक्रमण हटे
मंदाकिनी नदी को लेकर विधानसभा में चित्रक्ूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने सवाल दागा है। नीलांशु ने सदन से पूछा है कि क्या चित्रकूट में मंदाकिनी , सरयू व पयस्वनी जैसी नदियों के संगम तथा नदियों पर अतिक्रमणकारियों ने अवैध निर्माण करा रखे हैं, यदि हां तो ऐसे में नदियों के सीमांकन एवं उसे अतिक्रमणमुक्त करने के अभियान की क्या जरूरत नहीं है? यदि है तो विगत 10 वर्षों में चित्रक्ूट की मंदाकिनी , सरयू एवं पयस्वनी नदी के सीमांकन हेतु कब-कब पहल की गई एवं उस पर क्या कार्रवाई हुई? नदियों के संरक्षण संवर्द्धन के लिए शासन की नीति स्पष्ट करते हुए बताएं कि विगत 10 वर्षों में चित्रकूट के ऐतिहासिक महत्व की नदियों की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए क्या प्रयास हुए , यदि नहीं तो कब तक करेंगे? चित्रक्ूट विधायक द्वारा दागे गए सवालों का जवाब जिला प्रशासन तैयार करा रहा है। जिला प्रशासन को इन सवालों का जवाब तैयार कर सदन को 22 दिसंबर तक भेजना है जबकि विधायक को सदन इन सवालों का उत्तर 29 दिसंबर को देगा। 

कितनों के खिलाफ एफआईआर 
जिले की शासकीय भूमियां भी सदन में चर्चा का विषय बनी हैं। सदन में तत्कालीन कलेक्टर संतोष मिश्रा द्वारा 22 मार्च 2016 को लिखा गया पत्र क्र. 87 चर्चा में है जिसमें उन्होने जिले की शासकीय जमीनों के खुर्द बुर्द होने के मामले में राजस्व अधिकारियों पर उंगली उठाई थी और निर्देश दिए थे कि अनुविभागवार जांच कमेटी का गठन कर उन अधिकारियों व कर्मचारियों को चिन्निहत करते हुए एफ आईआर दर्ज कराई जाय जो शासकीय जमीनों को खुर्द बुर्द कराने में संलिप्त हैं। मऊगंज के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने सदन से पूछा है कि कलेक्टर के उक्त आदेश के बाद कितनी जमीन शासकीय घोषित की गई है तथा तहसीलवार कितने प्रकरण दर्ज कराए गए हैं? प्रकरणवार तहसीलवार बताएं। बम्हनगवां, मझबोगवां डिलौरा व लिलौरा में हुए जमीन के फर्जीवाड़े का मामला भी सदन में उठाया गया है। 

खनन मामले में एफआईआर क्यों नहीं
भाजपा विधायक नाररायण त्रिपाठी ने सदन में गृह विभाग से सवाल दागते हुए प्रश्न किया है कि पुलिस अधीक्षक द्वारा 18 जुलाई 2019 को पत्र क्र.23 जारी किया गया था जिसके आधार पर नगर पुलिस अधीक्षक ने पत्र क्रमांक- 2094 जारी करते हुए थाना प्रभारी कोलगवां व चौकी प्रभारी बाबूपुर को जांच के निर्देश दिए थे । कलेक्टर सतना द्वारा एसडीएम के जांच प्रतिवेदन के आधार पर दो पटवारियों कारण  शासकीय जमीन को खुर्द-बुर्द करने के कारण निलंबित भी किया गया था। विधायक नारायण त्रिपाठी ने सभी पत्रों की एक एक प्रति उपलब्ध कराने का आग्रह करते हुए पूछा है कि खनिज एवं भू माफियाओं के विरूद्ध संबंधित थाने में एफआईआर कराने के निर्देश क्यों नहीं दिए गए? कराण सहित बिंदुवार जानकारी दें। सदन में यह प्रश्न गूंजने के बाद पुलिस महकमा उक्त कार्रवाई की विवरणिका तैयार करने में जुट गया है।