छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा मामला: प्राचार्य राकेश सहित अन्य पर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज

रीवा पोस्ट मैट्रिक पाठ्यक्रम में 89 छात्रों को कॉलेज में अध्ययनरत बताकर छात्रवृत्ति एवं शिक्षण शुल्क की 14 लाख 23 हजार की राशि का गबन करने वाले एसएसआईपीएस महाविद्यालय सीधी के प्राचार्य सहित अन्य पर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज की गई है। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सीधी एवं नोडल प्राचार्य शासकीय कला वाणिज्य महाविद्यालय मझौली की मिलीभगत से किए गए इस फर्जीवाड़े में जिन छात्रों का प्रवेश दिखाया गया है, उनका पोर्टल में फर्जी बैंक खाता भी भरा गया था। उक्त मामला ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच के बाद सामने आया है।

पोस्ट मैट्रिक पाठ्यक्रम में 89 छात्रों का फर्जी एडमीशन दिखाकर छात्रवृत्ति के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया है। सीधी के एसएसआईपीएस महाविद्यालय में वर्ष 2013-14 में 89 छात्रों के फर्जी एडमीशन दिखाकर सीधी के फर्जी बैंक खाते पोर्टल में भरकर छात्रवृत्ति की राशि में कॉलेज के प्राचार्य, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सीधी एवं नोडल प्राचार्य शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय मझौली की सांठगांठ से कॉलेज के प्राचार्य राकेश प्रताप सिंह द्वारा छात्रवृत्ति की 2 लाख 67 हजार रुपए तथा शिक्षण शुल्क के नाम पर 11 लाख 56 हजार अपने बैंक खाते में लेकर आहरण किया गया है। ताज्जुब की बात यह है कि आरोपी प्राचार्य द्वारा जो बड़ा कारनामा किया गया है, उसमें जो खाता खुलवाया गया, वह सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी के नाम से था। ऐसे में छात्रवृत्ति एवं शिक्षण शुल्क की कुल 14 लाख 23 हजार रुपए का गबन करना बताया गया है।

प्रवेश दिया नहीं और ले ली छात्रवृत्ति की राशि
सीधी जिले में छात्रवृत्ति घोटाले का एक मामला सामने आया है, जिसमें ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज किया है। ताज्जुब की बात यह है कि आरोपी प्राचार्य राकेश सिंह ने एसएसआईपीएस महाविद्यालय में फर्जी तौर पर 89 छात्रों का पोस्ट मैट्रिक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिखाया, जिनके फर्जी खाते भी पोर्टल में दर्ज किए गए। हैरान की बात यह है कि इस पूरे मामले को उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी नजरअंदाज कर दिया। शिकायत के बाद जब ईओडब्ल्यू को इस संबंध में जांच करने का जिम्मा मिला, तब यह मामला सामने आया कि आरोपी प्राचार्य के साथ मझौली कॉलेज के नोडल प्राचार्य तथा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सीधी की मिलीभगत से इस छात्रवृत्ति का फर्जीवाड़ा किया गया है।

पोर्टल में दर्ज कराया खुुद का बैंक खाता
सीधी कॉलेज के प्राचार्य राकेश सिंह द्वारा फर्जी तौर पर 89 छात्रों का एडमीशन के बाद पोर्टल में जो बैंक खाता फीड कराया था, वह उनका खुद का था। ऐसे में छात्रों के खाते में जाने वाली छात्रवृत्ति एवं शिक्षण शुल्क की राशि सीधे आरोपी प्राचार्य राकेश सिंह के खाते में गई। जिसे वह आहरित कर लिया। गौर करने वाली बात यह है कि जिन छात्रों के नाम से कॉलेज में प्रवेश दिया गया है, वह छात्र वास्तव में पूरी तरह से फर्जी हैं।

इन पर दर्ज हुआ मामला
छात्रवृत्ति के फर्जीवाड़े में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में एसएसआईपीएस कॉलेज सीधी के प्राचार्य राकेश प्रताप सिंह, शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय मझौली के नोडल प्राचार्य श्रीमती गीता भारती, एलआर मीणा, तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग सीधी, श्रीमती कंचन सिंह पत्नी राकेश प्रताप सिंह अध्यक्ष अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी, श्रीमती शांति सिंह पत्नी मिथिलेश्वर सिंह परिहार संचालक (उपाध्यक्ष) अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी, श्रीमती कामिनी सिंह पत्नी वीरेन्द्र सिंह चौहान कोषाध्यक्ष अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी, राजबहादुर सिंह पिता हरिपाल सिंह सहायक सचिव अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी, श्रीमती मालती सिंह पत्नी आरबी सिंह (सदस्य) अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी, श्रीमती निशा सिंह पत्नी पुष्पराज सिंह सदस्य अभिनव पहल सामाजिक एवं शिक्षण समिति सीधी एवं अन्य संबंधितों के विरुद्ध धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी, भादवि एवं धारा 13(1)(ए), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन अधिनियम 2018) के अंतर्गत अपराध क्रमांक 17/21 पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

और बढ़ सकते हैं आरोपी
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र कुमार जैन द्वारा बताया गया है कि इस पूरे मामले की जांच के बाद अभी नौ लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। पूरे मामले की विवेचना की जा रही है। विवेचना के बाद और भी आरोपी बढ़ सकते हैं। खास बात यह है कि रीवा संभाग में छात्रवृत्ति घोटाले के कई मामले सामने आए। जिन पर एफआईआर भी दर्ज किया गया और विवेचना के बाद पूरे मामले शांत हो गए। ताज्जुब की बात यह है कि ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज होने के बाद भले ही विवेचना में तह तक जाने की कोशिश की जाती हो परंतु पूरा मामला किसी ठोस निर्णय तक नहीं पहुंच पाता है। सीधी में दर्ज किए गए एफआईआर के बाद इस मामले की भी विवेचना शुरू कर दी गई है। देखना यह है कि इस पूरे मामले में क्या निर्णय होता है।