एक शाला-एक परिसर के बाद दूसरा झटका, बंद होंगे 746 स्कूल

रीवा | एक तरफ नई शिक्षा नीति का पुनरोदय हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एक शाला-एक परिसर अभियान लाया गया था, जिसके चलते कई विद्यालय मर्ज हो गए थे। अब विभाग की ओर से दूसरा झटका दिया जा रहा है, जिसके तहत जिले की 746 स्कूल बंद होने का फरमान शीघ्र आने वाला है। जिसके अमल में आने से विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 150 मीटर की परिधि में चलने वाले प्राइमरी, मिडिल और हाईस्कूल में छात्रों की संख्या कम रहती थी, ऐसे में विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश के बाद रीवा जिले की 746 स्कूलों में संकट के बादल गहराने लगे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जिले की ऐसी स्कूलों में छात्र संख्या नगण्य रहने के बाद भी अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी दी जाती थी। जिसके चलते वहां पर पदस्थ शिक्षक बगैर कार्य के वेतन ले रहे थे।

746 स्कूलों के बंद हो जाने के बाद तकरीबन 5सौ से ज्यादा शिक्षकों को युक्तियुक्तिकरण कर दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा। खास बात यह है कि इसके पूर्व जो लिस्ट तैयार की गई थी, उसमें कई स्कूलें ऐसी पाई गई थीं जिनमें छात्र संख्या जीरो से दस तक थी। इन्हीं स्कूलों को चिन्हित कर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए फरमान के बाद  बंद किया जाएगा।

डीईओ कार्यालय की स्थापना पंजी अस्त-व्यस्त
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में स्थापना की पंजी ही अस्त-व्यस्त है। ऐसे में अधिकारियों को यह भी नहीं मालूम है कि रीवा जिले की कौन सी स्कूलों में कितने शिक्षक हैं। मनमानी अटैचमेंट दर्शाकर मुफ्त में तनख्वाह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ऐसे शिक्षक जिनकी पकड़ उच्च अधिकारियों तक है, वह अपना चुपचाप अटैचमेंट दूसरे विभाग में कराकर मौज कर रहे हैं।

संकुल प्राचार्य द्वारा गलत जानकारी भेजने के चलते वर्षों से छात्र विहीन स्कूलों के शिक्षक मुफ्त में शासन से वेतन के रूप में लाखों रुपए ले रहे थे। यह हकीकत तो तब सामने आई, जब पोर्टल में फीडिंग किए गए स्कूल एवं छात्र संख्या तथा कर्मचारियों की जानकारी आई है। सूत्रों की मानें तो संकुल प्राचार्य अपने नजदीकी रिश्तेदार एवं खास लोगों को बचाने की कोशिश में गलत जानकारी भेजते रहे। यही वजह है कि यह जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग को देर से लगी है कि जिले में 746 ऐसी स्कूलें हैं जहां पर छात्र ही नहीं हैं। पूरे प्रदेश में ऐसी स्कूलों की जांच की गई तब वहां से यह सामने आया है कि 20 जिलों में 5760 स्कूलें छात्र विहीन हैं।

शिक्षकों का होगा युक्तियुक्तकरण
जिले की 746 स्कूलों के बंद हो जाने के बाद संबंधित स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से दूसरे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा। सबसे ज्यादा नुकसान उन शिक्षकों को होने वाला है जिन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई थी। स्कूल बंद हो जाने के बाद वह पूरी तरह से बेरोजगार हो जाएंगे। जबकि शासकीय शिक्षकों को ऐसी स्कूलों में युक्तियुक्तकरण कर भेजा जाएगा, जहां पर शिक्षकों के पद पहले से रिक्त पड़े हुए हैं। छात्र विहीन स्कूलों के बंद हो जाने से अतिथि शिक्षकों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। ऐसे में शासन की वह राशि भी बचेगी जिसे अतिथि शिक्षकों को वेतन के रूप में दिया जा रहा है।