स्टार समाचार से स्टेशन अधीक्षक ने कहा,- दुर्घटनारहित रहे सेवा के साढ़े 34 साल

सतना | दिवाकर सिंह सेवानिवृत्त स्टेशन अधीक्षक सतना हैं। जिन्हें रेलवे बोर्ड व पश्चिम मध्य रेलवे जोन ने अक्टूबर में दुर्घटना रहित सेवा पुरस्कार प्रदान किया गया है। उनके 34 साल 6 माह के रेलवे सेवाकाल में कोई भी दुर्घटना नही हुई। इस पर इन्हें गर्व है। उन्होंने अपने  सेवाकाल में हमेशा नियमों व रेलवे की संरक्षा व सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कार्य किया है। 

पहली पोस्टिंग नेपानगर स्टेशन में एएसएस पद पर हुई थी। इसके बाद खंडवा, भोपाल, इटारसी, जबलपुर, सतना सहित अन्य स्टेशनों में कार्य किया। बस एक ही बात मन में ठान रखी कि हमेशा नियमों के अनुसार ही कार्य करना है। दिवाकर सिंह ने स्टार समाचार से अपने सेवाकाल के अनुभव शेयर किए। प्रस्तुत हैं संपादित अंश- 

स्टार- रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है इसको लेकर आप क्या सोचते हैं? 

दिवाकर- रेलवे इतना बड़ा तंत्र है कि संरक्षित तरीके से संगठित नहीं किया और कर्मचारियों को सही तरीके से प्रशिक्षण नहीं दिया गया तो रेल का तेज गति से सुरक्षित परिचालन करवाना असंभव होगा। अभी जितने भी कर्मचारी रेलवे में होते हैं उन्हें प्रशिक्षण व संरक्षा के नियमों का पाठ पढ़ाया जाता है। जब प्रापर ज्ञान नहीं होगा तो ये सब संभव नहीं। 

स्टार- रेल सेवा के दौरान काम का कितना दबाव रहता है? अधिकारियों का दबाव क्या रेल कर्मियों की कमी के कारण है? 

दिवाकर- स्टेशन मैनेजर के अधीन रेलवे के सारे तंत्र रहते हैं। एक तरफ जहां सारी जवाबदारी यानी सेवा और परिचालन की होती है। सभी विभागों को संभालना पड़ता है। स्टेशन मास्टर द्वारा सभी विभागों को सूचित किया जाता है। कामर्शियल, मैकेनिकल, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल सभी को। सब स्टेशन मास्टर के निर्देशों का पालन करते हैं, जब तक वो ड्यूटी में रहते हैं तो 8 घंटे के दौरान एक बार भी  माइंड फ्रेश करने का भी समय नहीं मिलता क्योंकि कम्प्यूटर की तरह सजग, सतर्क, संरक्षित कार्य करना पड़ता है। देखना पड़ता है कि सभी नियमानुसार कार्य कर रहे हैं या नहीं। क्योंकि जरा सी भी लापरवाही हुई तो दुर्घटना सुनिश्चित है। कर्मचारी कंट्रोलिंग, काम का दबाव, समय से गाड़ियों का परिचालन, इसके लिए कर्मचारियों की कमी नही होनी चाहिए। प्रशासन को समय पर वर्क स्टडी करना चाहिए कि कितने कर्मचारी उचित हैं लेकिन वर्तमान समय में जो कर्मचारियों की कटौती हो रही है उसके भविष्य में दुष्परिणाम होने की संभावना है। 

स्टार- नई तकनीकों के समावेश से रेल दुर्घटनाओं को रोकने में कितनी मदद मिलती है? 

दिवाकर- बिल्कुल नई तकनीकों के समावेश से रेल दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलती है। रेलवे के समय -समय पर इसका बेहतर उपयोग हो रहा है। 

स्टार- समय के साथ रेलगाड़ियां, यात्री व कमाई भी बढी है लेकिन कर्मचारियों की संख्या में कमी आती जा रही है। आपको ऐसा नहीं लगता कि सरकार जानबूझ कर आउट सोर्सिंग को बढावा देने की साजिश रच रही है? 

दिवाकर- देखिए समय के साथ नई तकनीकी से गाड़ियों का परिचालन हो रहा है। जहां तीन कर्मचारी पहले लगते थे अब आरआरआई में एक आदमी बटन दबाकर करता है। ये प्रशासनिक कार्य है कि कहां कर्मचारी निकालने हैं या नहीं, पर ये है कि गाड़ियों की निरंतरता बनाए रखने, समय से सुरक्षित परिचालन करवाने उस परिस्थिति में लगता है कि स्टाफ कम है। जैसे कि गाड़ियों की संख्या व स्पीड बढ़ती जा रही है। 

स्टार- आप अपनी तरफ से रेल साथियों को और क्या संदेश देना चाहते हैं? 

दिवाकर- मैं अपने रेल साथियों को यही संदेश देना चाहता हूं कि वो जिस पद पर कार्य कर रहे हैं उस पद के लिए जो नियम प्रशिक्षण दिया गया है उसका हमेशा पालन करें क्योंकि हमारी एक गलती से जन और धन दोनों की हानि होती है। जन हानि की पूर्ति किसी तरह नही की जा सकती। इसलिए बिना ज्ञान व जल्दबाजी में ऐसा कदम न उठाएं। संरक्षा व सुरक्षा को देखते हुए काम करें।