विधानसभा में सुनाई पड़ सकती है पटवारियों के स्थानांतरण की गूंज

सतना | आगामी दिनों में प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र में जिले में सालों से एक ही तहसील में जमे पटवारियों के स्थानांतरण का मामला गूंजने के आसार हैं। ऐसी संभावना इसलिए जताई जा रही है क्योंकि सत्र प्रारंभ होने के पूर्व के छह महीनों में सतना में सर्वाधिक चर्चाओं में जमीनों के मामले रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांचों में कई सरकारी जमीनों में घपलेबाजी सामने आई है। साथ ही जमीनों के फर्जीवाड़े में पटवारियों व राजस्व अमले की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है। ऐसे में अनुमान लगाया जारहा है कि इस बहुचर्चित मामले की गूंज इस मर्तबा विधानसभा सत्र के दौरान सुनाई पड़ सकती है। 

जानकारों के अनुसार जिस प्रकार से पिछले कई माह से शहरी क्षेत्र की सरकारी आराजियां चर्चा में रही हैं उससे जमीनों के फर्जीवाड़े में की-रोल निभाने वाले पटवारियों की शहरी क्षेत्र में लंबी पदस्थापना वाले पटवारियों को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि शासन के साफ-साफ निर्देश है कि ऐसा व्यवस्था सुनिश्चित की जाय ताकि कोई भी पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक अपनी सेवाकाल की कुल अवधि में तीन वर्ष से अधिक समय तक शहरी क्षेत्र में पदस्थ न रहे।

शासन के यह आदेश भी समस्त कलेक्टरों को थे की नगरीय क्षेत्र एवं बाह्य नजूल में स्थित शासकीय भूमि की हेरा फेरी पर अंकुश लगाया जाय। शासन के साफ निदेर्शों के बाद भी कलेक्टर एवं एसडीएम. वर्षो से जमे पटवारी राजस्व निरीक्षक का स्थानांतरण  नहीं कर पा रहे हैं । यदि इन निर्देशों का पालन कराया तो अकेले रघुराजनगर तहसील में ही  प्रशासन को  बहुत बढ़ी एडमिनिस्ट्रेटिव सर्जरी करनी पड़ेगी। माना जा रहा है कि ये मामले जिस प्रकार से चर्चाओं में रहे हैं उससे कोई न कोई विधायक जिला प्रशासन की घेराबंदी करने इस मसले से जुड़ा सवाल दाग सकता है। 

पटवारी अपने रसूख व पहुंच का इस्तेमाल कर फिर वहीं आ जाते हैं जहां से उन्हें हटाया जाता है। उदाहरण के लिए तत्कालीन कलेकअर केके खरे ने 19 फरवरी 2013 को वीरेश सिंह, विजय बहादुर सिंह, मनोज बागरी , विजय सिंह व रामशिरोमणि सिंह को शहरी क्षेत्र से बाहर किया था लेकिन इनमें से अपना ट्रांसफर जिले से बाहर करा लेने वाले वीरेश सिंह को छोड़ दिया जाय तो शेष पटवारी येन-केन प्रकारेण रघुराजनगर तहसील के इर्द-गिर्द ही जमे हुए हैं। इसी प्रकार 26  फरवरी 2014 में कलेक्टर ने पटवारी  शिवभूषण सिंह, रामशिरोमणि सिंह , रामनरेश सिंह , भोला सिंह, बृजेश निगम , अजय सिंह, जश्किशोर पयासी का हल्का परिवर्तन का आदेश जारी किया। 4 मार्च 2014 को एसडीएम ने भी एक आदेश जारी कर चार पटवारियों का हलका परिवर्तन किया ।

यदि इस सूची के साथ वर्तमान पदस्थापना को देखा जाय तो पता चलता है कि कई ऐसे रसूखदार पटवारी हैं जो अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए शहरी क्षेत्र के ही आसपास जमे हुए हैं। माना जा रहा है कि विस सत्र में तह. रघुराजनगर में लबे अरसे से पदस्थ  पटवारियों को तहसील से बाहर स्थानांतरित करने पर सवाल उठाए जा सकते हैं।   

जिले में पदस्थ कई पटवारियों के आगे गृह तहसील में पदस्थ न रहने का आदेश पनाह मांग रहा है। खासकर रघुराजनगर तहसील के हलकर बराकला में पदस्थ पटवारी शिवप्रसाद पटेल, मुड़हा कला में पदस्थ मनोरमा , खड़ौरा में पदस्थ अजय शुक्ला, नयागांव हलका में पदस्थ नीलेश मिश्रौलिया, भैसवार हलका में पदस्थ अंबिका चरण त्रिपाठी, रामपुर चौरासी में पदस्थ बृजेश निगम, महदेवा में पदस्थ सत्यप्रकाश गर्ग, कोलगवां हलका में पदस्थ राजेंद्र सिंह, मझगवां भट्टा में पदस्थ अजय सिंह, धवारी हलका में पदस्थ उमेश सिंह समेत कई पटवारी हैं जो गृह तहसील में पदस्थ हैं।

राजस्व महकमे से जुड़े जानकारों का मानना है कि जिले की सरकारी जमीनों पर जो खतरा मंडराया है उसका एक बड़ा कारण पटवारियों का एक ही हलके पर बने रहना है। लंबे समय तक एक ही हलके में बने रहने के कारण पटवारियों की  भू-कारोबारियों से नजदीकियां बढ़ जाती हैं और पटवारी भी जमीनों के उस गोरखधंधे के अंग बन जाते हैं।

क्या इन पर भी उठेंगे सवाल 

  • रघुराज नगर तहसील के अंतर्गत पटवारी हल्का कोलगवां के आराजी नं. 502, 506, 507, 508, 532, 533, किता 6 कुल रकवा 13.127 हे. शासकीय है । शहर के हृदय स्थल की उक्त आराजी को निजी स्वत्व में करने की कवायद की जा रही है, जिसे बचाना आवश्यक है। 
  • मौजा बदखर की आराजी क्र. 343, 352, 355, 381 का जांच प्रतिवेदन नायब तहसीलदार हाटी द्वारा पत्र क्र. 414 दिनांक 22.07.2020 को तहसील रघुराजनगर को सौंपा गया था तहसील रघुराजनगर ने पत्र क्र. 1441/1 दिनांक 07 अगस्त 2020 को एसडीएम रघुराजनगर को जमा करा दिया गया लेकिन आज दिनांक तक खसरा सुधार नहीं किया गया है । 
  •  इसी तरह उक्त मौजा की आराजी नं. 39 रकवा 2.28 एकड़ की आराजी के संबंध में तहसील रघुराजनगर ने 2019 को एसडीएम रघुराजनगर कार्यालय में जमा किया है लेकिन 90 वर्षीय बृजलाल नाई पिता बहोरिया नाई को आज दिनांक तक न्याय नहीं मिला है।