दिव्य विचार: हृदय से उदार बनो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि दुनिया में बहुत से पैसे वाले लोग हैं जो विचारों से कृपण हैं और बहुत से साधारण लोग हैं जो हृदय से उदार हैं। जो हृदय से उदार हैं, समाज में उनका अलग स्थान होता है और जो विचारों से कृपण हैं, समाज उन्हें कभी नहीं चाहती। अपने जीवन में व्यापक बदलाव घटित कीजिए छूटना तो एक दिन सब है, सब छूटेंगे, तुम्हारी सम्पति है, सम्बन्ध है, यह छूटेगा, सत्ता है, वह छूटेगी, शरीर है, वह छूटेगा सब कुछ छूटने वाला है। जिस दिन तुम्हारे दिल-दिमाग में यह बात बैठ जाएगी कि एक दिन सब छूट जाना है तो फिर तुम्हें छोड़ने के लिए किसी से प्रेरणा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर मुश्किल यह है कि इस सच्चाई को लोग स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होते। तुम्हें पक्का भरोसा है, एक दिन यह शरीर छूटेगा, तुम्हें पक्का भरोसा है मेरे सम्बन्ध छूटेंगे, तुम्हें इस बात का पक्का भरोसा है मेरी सम्पत्ति यहीं छूट जाएगी। सब छूट जाएँगे तो भैया ! जब तक है तब तक इसका उपयोग करो, उपभोग करो, रोककर क्यों रखे हो? जब छूटना ही है तो इतना चिपक क्यों रहे हो? छूटने से पहले हम छोड़ने की कला सीखें। यह तभी होगा जब तुम्हारे हृदय में हर पल यह बात बैठ जाए कि एक दिन सब छूट जाना है, एक दिन सब छूट जाना है। कैसी विडम्बना है-कोई सोता हो जैसे किसी डूबती हुई कश्ती के तख्ते पर। अगर कुछ है तो बस दुनिया की इतनी ही हकीकत है तुम सब ऐसे तख्ते पर सो रहे हो, जो डूबती हुई कश्ती का तख्ता है। सो रहे हो, कब डूब जाओ, भरोसा नहीं है। इस वास्तविकता को समझो, जानते हो कि सब छूट जाने वाला है तो फिर इतने व्याकुलचित्त क्यों? यह भागमभाग क्यों? यह आपाधापी क्यों? यह रेलमपेल किसके लिए ? थोड़ा जागो, अपने आप को झकझोरो, जीवन की दिशा बदलो, दृष्टि बदलो तब अपने जीवन में कोई सार्थक उपलब्धि होगी।