दिव्य विचार: मित्र के साथ छल कपट मत करो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: मित्र के साथ छल कपट मत करो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि माता-पिता, गुरु, कल्याण मित्र, जो तुम्हारे हित का आकांक्षी हो ऐसा मित्र, जो तुम्हारे जीवन को आगे बढ़ाना चाहता हो ऐसा मित्र, जो तुम्हारे आत्मा के उत्थान की बात सोचता हो ऐसे मित्र के साथ कभी कृत्रिमता, कुटिलता, जटिलता और कपट का व्यवहार मत करना नहीं तो जीवन बर्बाद हो जाएगा। उनके साथ बहुत सजग रहो। अपने दिल की बात खुलकर बोलो और सच्चाई के साथ प्रस्तुत हो । कई बार लोग अपने थोड़े से स्वार्थ के कारण इस तरह का आचरण कर लेते हैं और जीवन बर्बाद कर डालते हैं। ऐसी दुष्प्रवृत्तियों से अपने आप को बचाइए। कौन सा मित्र ? कई तरह के मित्र होते हैं। एक मित्र होता है जो चौबीस घण्टे आपके साथ रहता है। एक मित्र होता है जो कभी-कभी आप के साथ होता है और कोई मित्र होता है जो वक्त पर बुलाने पर आता है। सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति में साथ देता हो, जो तुम्हें आगे बढ़ने और बढ़ाने की प्रेरणा देता हो। उस मित्र के साथ कभी धोखा नहीं करना चाहिए, उस मित्र के साथ कभी विश्वासघात नहीं होना चाहिए, उस मित्र के साथ कभी छल और फरेब नहीं होना चाहिए कम से कम इतना तो तुम सुनिश्चित कर लो। मुझे मालूम हैं मेरे प्रवचन को सरलता से सुनोगे और जितनी सरलता से सुनोगे उतनी ही सरलता से भूल भी जाओगे। लेकिन जितना तुम कर सकते हो उतना तो तुम कर लो। कल्याण मित्र के साथ मैं ऐसा नहीं करूँगा। नंबर चार धर्म क्षेत्र में कृत्रिमता नहीं, धर्म क्षेत्र में कुटिलता नहीं, धर्म क्षेत्र में कपट नहीं और धर्म क्षेत्र में जटिलता नहीं इतना तय कर लो। धर्म क्षेत्र में भी लोग बहुत तरह की कुटिलता करते हैं।