करना था विधायक को, सांसद ने पहले ही कर दिया भूमिपूजन
सतना | शिलान्यास और लोकार्पण पट्टिका में अपना नाम देखना नेताओं का शगल है। वो इसके लिए सियासी मर्यादाएं तक ताक में रखने से नहीं चूकते। बीते दिनों सांसद गणेश सिंह और मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की जुबानी जंग आम हुई। उसके बाद रैगांव में भी वहां के विधायक जुगुलकिशोर बागरी द्वारा सांसद के नाम वाली शिलापट्टिका पुराने पंचायत भवन में लगवा कर कांग्रेसियों का रक्तचाप बढ़ा दिया। अब ताजे मामले में तो प्रशासनिक अधिकारियों, चित्रकूट नगरपरिषद के अधिकारियों और सांसद ने गजब ही कर दिया।
मोहकमगंज चौराहे का सौंदर्यीकरण करने के लिए वार्ड क्रमांक 12 में भूमिपूजन 2 दिसंबर को होना था। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चित्रकूट के कांग्रेस विधायक नीलांशु चतुर्वेदी थे। उनके नाम की शिलापट्टिका भी लगाई जा चुकी थी। लेकिन, उसी दिन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आ गए। दिग्विजय को चित्रकूट भी जाना था जिससे भूमिपूजन का कार्यक्रम टल गया। इसी बीच मौका देखकर ‘गणेश भक्त’ प्रभारी सीएमओ आशीष द्विवेदी ने सांसद के नाम वाली दूसरी शिलापट्टिका लगवा दी।
और, सांसद को मुख्य अतिथि बनाकर 4 दिसंबर को चौराहे का भूमिपूजन करा दिया। आशीष वहां जेई हैं। लिहाजा विधायक नीलांशु की त्ौयारी रखी रह गई और सांसद भूमिपूजन कर चलते बने। बड़ी बात यह रही कि, जिस कार्यक्रम में पहले नीलांशु मुख्य अतिथि थे उसी परिवर्तित कार्यक्रम में उन्हें पूछा तक नहीं गया।
भूमि पूजन की सियासत से उठे बवाल ने चित्रकूट में हलचल पैदा कर दी है। सांसद द्वारा किए गए भूमिपूजन को अनैतिक बताने वालों में उनकी ही पार्टी के लोग शामिल है। उन्होंने कहा कि, यह सस्ती राजनीति है। अगर वहां के विधायक द्वारा भूमिपूजन किया जाना तय था तो सांसद को वहां नहीं जाना था। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि, सांसद विधायकों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं। उन्हें अपनी गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। जरूरी नहीं कि, हर शिलान्यास या
लोकार्पण वही करें। इसमें जितनी जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है उतनी ही प्रशासन और निकायों के अधिकारियों की। इस तरह की विसंगतियों से विवाद की स्थिति बनती है। प्रभारी सीएमओ आशीष द्विवेदी पर आरोप है कि, शुक्रवार को भूमि पूजन का कार्यक्रम सांसद गणेश सिंह की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया गया था। चूंकि, सांसद 2 दिसंबर को उपलब्ध नहीं थे इसलिए विधायक को दरकिनार कर 4 दिसंबर को बनाया गया। आशीष ने स्थानीय मीडिया को भी कार्यक्रम से दूर रखा। दिलचस्प है कि, प्रभारी सीएमओ ने दूसरी शिलापट्टिका में विधायक नीलांशु का नाम मुख्य अतिथि की जगह अध्यक्षता में लिखवा दिया। लेकिन, उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया।
कांग्रेस के लोगों ने कहा कि, एक तो सांसद ने गलत तरीके से भूमि पूजन किया उल्टे आरोप भी जड़ा के 15 साल में चित्रकूट पिछड़ गया। यह राजनैतिक बेहयाई है। विधायक नीलांशु ने कहा कि, चित्रकूट के पिछड़ेपन का सवाल पूछने वाले अपने गिरेबान में झांकें। आखिर वो भी 16 साल से सांसद हैं। उन्होंने चित्रकूट के लिए क्या किया? और नहीं किया तो क्यों? हमने तो 15 महीने की कांग्रेस सरकार में चित्रकूट में काफी कुछ किया। वार्डों में गलियों के भीतर तक सड़कें बनवार्इं। चौराहों का सौंदर्यीकरण कराया। मेला कंट्रोल रूम बनवाया। आप तो केवल अपने नाम के पत्थर लगवाने में ही व्यस्त रहे। नीलांशु ने कहा कि, ठीक है आपकी सरकार है। सब आपकी मर्जी से चलता है पर आखिर कबतक?
जिला कांग्रेस शहर के अध्यक्ष मकसूद अहमद ने कहा कि, सांसद द्वारा यह गलत परंपरा शुरू की जा रही है। स्वच्छ राजनीति के लिए यह घातक है। सांसद को स्वयं इस बारे में सोचना चाहिए। कांग्रेस के विधायकों को शिलान्यास या लोकार्पण के पत्थर में नाम लिखाने का शौक नहीं है। बल्कि हजारों पत्थरों ऐसे पत्थर गड़े हुए हैं जिसपर सांसद का नाम लिखा है पर उनमें धूल जमी है काम नहीं हुआ।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने भी कांग्रेस विधायक के क्षेत्र में सांसद द्वारा शिलान्यास करने को गलत बताया है। उन्होंने कहा प्रत्येक विधायक, चाहे वो किसी भी दल का हो उसका महत्व होता है। अत: किसी के नाम का पत्थर हटाकर अपने नाम का पत्थर लगाना सरासर गलत है। चाहे यह काम सांसद करे या कोई और। प्रत्येक विधायक का प्रोटोकाल है जिसका पालन होना चाहिए।