दिव्य विचार: तालमेल बनाकर कार्य करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: तालमेल बनाकर कार्य करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि सब एक से हों तो जीवन में कभी रस नहीं होगा। थोड़ी देर के लिए कल्पना करो अगर हाथ की पाँचों अंगुलियाँ बराबर होतीं तो हाथ का शेप कैसा होता? बोलो क्या दिखता ? हाथ होता या ब्रश जैसा दिखता? हाथ का सौन्दर्य कब है, जब छोटी-बड़ी अंगुलियाँ हैं। लेकिन इसकी उपयोगिता कब है? जब अलग अलग अंगुलियाँ भी अपने-अपने स्थान पर हैं, इसलिए इसका सौन्दर्य है। अँगूठा अगर बीच में लगा दें, कनिष्ठा, मध्यमा और तर्जनी को दूसरी जगह लगा दें तो हाथ कैसा लगेगा? लगेगा कि यह आदमी का हाथ नहीं राक्षस का हाथ है। हाथ की पाँचों अंगुलियाँ भी अपने-अपने स्थान पर हैं तो हाथ का सौन्दर्य है और हाथ अपना काम तभी कर पाता है जब सभी अंगुलियाँ अपनी-अपनी जगह होती हैं और अपना-अपना काम करती हैं। किसी अंगुली का मूल्य कम है क्या? अकेले में किसी अंगुली का मूल्य हो सकता है, लेकिन हाथ के लिए सभी का मूल्य समान है। जब रोटी खानी हो तो कौर किससे बनाते हो? पाँचों अंगुलियों से। अगर उसी टाइम पाँचों अंगुलियाँ आपस में लड़ने लगें कि मैं यह काम नहीं करूँगी तो क्या होगा? जब पाँचों अंगुलियों से काम करते हो तो उनके कॉम्बिनेशन बनाने के लिए कुछ सोचते हो, कोई ट्रेनिंग लेते हो, पाँचों अंगुलियों की कोई ट्रेनिंग लेते हो या फिर उनकी मनुहार करनी पड़ती है? नहीं, अपने आप होता है। क्यों? क्योंकि इनमें कॉम्बिनेशन होता है और हमने मान रखा है कि जब तक मैं इनमें तालमेल बनाकर नहीं चलूँगा, तब तक जीवन का कोई काम नहीं होगा। यह पाँचों अंगुलियाँ क्या सोचती हैं? हम जो भी काम कर रही हैं अपने शरीर के लिए कर रही हैं और जब तक हमारा शरीर सुरक्षित है तब तक हमारा अस्तित्व है। शरीर खत्म, हमारा अस्तित्व खत्म । घर में पाँच अंगुलियों की भाँति पाँच सदस्य हैं। पाँचों सदस्य पूरा काम करें और यह सोचें कि हम जो कर रहे हैं पूरे परिवार के लिए कर रहे हैं।