दिव्य विचार: समन्वय और तालमेल जरूरी - मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कॉम्बिनेशन का मतलब है तालमेल। समन्वय और तालमेल जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। अलग-अलग व्यक्ति हों, अलग-अलग सोच हो, अलग-अलग विचारधारा हो फिर भी इण्टरनल एडजस्टमेण्ट हो तो कहीं कोई दिक्कत नहीं। ध्यान रखना जीवन में कठिनाइयाँ विचारों की भिन्नता से नहीं वैचारिक टकराव से आती हैं। लड़ाई का मूल विचारभेद नहीं, वैचारिक टकराव है। कभी एक-दूसरे के साथ वैचारिक टकराव उत्पन्न होने की स्थिति मत बनने दो। वैचारिक टकराव मत करो। यह कब होगा? जब आप एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखोगे । एक गुलदस्ता बनता है। एक ही प्रकार के फूलों का गुलदस्ता कितना सुन्दर लगता है? आप गुलदस्ता बनाते हैं, कैसे बनाते हैं? अनेक प्रकार के फूलों को आप गुलदस्ते में रखते हो। एक फूल ऊपर, एक फूल नीचे। दस प्रकार के फूल हैं, अव्यवस्थित कर दो तो गुलदस्ता सुन्दर होगा? नहीं होगा। गुलदस्ते का सौन्दर्य तब निखरता है जब अनेक प्रकार के फूलों का कॉम्बिनेशन होता है। हर फूल को अलग-अलग स्थान पर लगा दिया जाता है पत्तों के साथ। केवल फूल का गुलदस्ता देखा क्या तुमने? उसके साथ पत्ते लगते हैं, कलियाँ लगती हैं, उनको बैठाया जाता है और फूलों के साथ बड़े अच्छे तरीके से उनका कॉम्बिनेशन बनाया जाता है। फूल के साथ गुलदस्ता खिल उठता है, बल्कि गुलदस्ते में आने के बाद फूल और भी ज्यादा खिल जाता है। घर-परिवार में अनेक प्रकार की प्रतिभा के लोग हैं। सबका लेवल एक सा नहीं है। कोई बड़ा है, कोई छोटा है, कोई समझता है, कोई कम समझने वाला है, कोई ज्यादा कमाऊ है, कोई कम कमाऊ है, कोई ज्यादा करने वाला है, कोई कम करने वाला है। अरे ! मैं ही मैं करूँ? मैं करता हूँ, सब खाते हैं। घर को एक गुलदस्ते की तरह बनाओ, जिसमें छोटे-बड़े सबको स्थान मिले और सब मिलकर उस गुलदस्ते की शोभा बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें, तब जीवन धन्य होगा।