दिव्य विचार: व्यक्तित्व में शालीनता रखें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि वही आदमी बड़ा आदमी हैं, जिसके पास छोटे से छोटा आदमी भी जाए और उसे अपने आपको छोटा महसूस न करना पड़े, वह बड़ा आदमी है। ऐसे आदमी का बड़प्पन होता है, जो सबको अपने हृदय से लगाता है। यह शालीनता है। जीवन में यह गुण उभरना चाहिए। जीवन में गुण उभरेगा तो जीवन का एक अलग रस होगा, एक मजा होगा। अपने भीतर उसे घटित करने की कोशिश करो। आज ऐसी शालीनता की मूर्तियाँ कम दिखती हैं, बहुत कम। ध्यान रखना ! ऊँचाई सदैव गहराई के सापेक्ष होती है। कोई भी पेड़ उतना ही ऊँचा जाता है, जितनी कि उसकी जड़े गहराती हैं। अगर ऊपर उठना चाहते हो तो जड़ को गहरी बनाओ। व्यक्तित्व में शालीनता होनी चाहिए, अपनी जीवनशैली में इसे अपनाओ, जीवन निखर उठेगा। तीसरी बात- सरलता। जीवन में कुटिलता न हो, कृत्रिमता न हो। जिसके जीवन में सरलता है उसके जीवन में, उसका जीने का ढंग सही है और जहाँ कुटिलता है वहाँ ढोंग है। ढंग के बाद क्या होता है? ढोंग । आजकल सरल लोग कम मिलते हैं, सरलता का ढोंग करने वाले लोग ज्यादा मिलते हैं। आजकल तो ढोंग बहुत बढ़ गया है। लोग ढोंग करते हैं, ढोंग रचते हैं, ढोंग दिखाते हैं। आज मैं आपको ढोंग मिटाने की बात करूँगा। अगर जीने का ढंग समझ जाओगे तो तुम्हारे जीवन का ढोंग खत्म हो जाएगा। ढोंग का मतलब क्या है? दिखावा। ढोंग का मतलब क्या है? प्रदर्शन। ढोंग का मतलब क्या है? नौटंकी। ढोंग का मतलब क्या है? कुटिलता। ढोंग का मतलब क्या है? छल। यह सब चीजे ढोंग के अतंर्गत आती है। आप देखिए-आपके जीवन ढंग है या ढोंग? कई मौके ऐसे आते है जब आप भॉति-भॉति के ढोंग रचते हो या ढोंग दिखाते हो। होना कुछ और दिखना, इसका नाम ही ढोंग है।