दिव्य विचार: अहंकार और कपट से दूर रहें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: अहंकार और कपट से दूर रहें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि परिवार एक वृक्ष हैं। उसमें यदि कीड़े लग जाएं  तो वह सूख जाता है। हमने कीड़ो को निकाला पर कीड़ो को निकालना मात्र पर्याप्त नहीं हैं। कई-कई बार कुछ बाहरी कारण ऐसे होते है जो हरे-भरे वृक्ष को काट डालते हैं। दो ऐसे कारण हैं जो हमारे परिवार के वृक्ष को नष्ट भ्रष्ट कर देते हैं। वो है अहंकार और कपट। अहंकार की आरी और कपट की कुल्हाड़ी परिवार के हरे-भरे वृक्ष को काट डालती हैं। हमें घर परिवार में अपने व्यवहार को ठीक बनाकर के जीना चाहिये। परिवार के आतंरिक प्रेम को जीवित रखना हैं तो इन दोनो चीजों को हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर देना चाहिये। आज बात मुझे करनी है परिवार की खुशहाली की, किसी का भी कोई भी परिवार हो, परिवार-परिवार तब बनता है जब परिवार में रहने वालों के संबंधो में मधुरता हो। हम जितने लोग परिवार में रह रहे है, हमारा एक-दूसरों के साथ संबंध कैसा है, यह बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारे किसी से प्रेमपूर्ण संबंध भी होते है तो द्वेषपूर्ण संबंध भी होते है। प्रेमपूर्ण संबंध को बनाने के लिए सारा जीवन लग जाता है, और द्वेषपूर्ण संबंध के लिए तो एक पल ही काफी हैं। हम अपने संबंधो के प्रति कितने जागरूक हैं और उन संबंधो को हम कितना मेन्टेन करते है, किसी भी परिवार की खुशहाली के लिए, पहली और जरूरी बात यह हैं। आज मैं आप से चार बाते कहना चाहूंगा। जो परिवार के संबंधों को मेन्टेन करने के लिए बहुत जरूरी हैं। परिवार में आपके अनेक सदस्य हैं माँ-बाप हैं, पति-पत्नि हैं, भाई-बहन हैं और बच्चें हैं, इन सबसे मिलकर पूरा परिवार बनता हैं तो इस परिवार में हमारा एक-दूसरों के साथ कैसा संबंध हैं। और उस संबंध को हम कैसे मेनटेन करें जिन्हें हमें बहुत अच्छे तरीके से ध्यान में रखने की जरूरत हैं। पहली बात संबंधों को मेनटेन करने के लिए परस्पर में प्रेम हो दूसरी बात उदारता हो तीसरी बात एक दूसरे की कद्र करने की प्रवृत्ति हो।