दिव्य विचार: मर्यादा का उल्लंघन न करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि मैं आपसे ये कहना चाहता हूँ आपके परिवार के जितने भी फील्डर हों उन्हें कितना भी दौड़ने दो, लेकिन एक बाउंड्री खींच दो तुम्हें इस बाउंड्री के बाहर नहीं जाना हैं। बाउंड्री के भीतर रहोगे तो घर की मर्यादा बनी रहेगी। और बाउंड्री का उल्लंघन कर दोगे तो सारी मर्यादाएँ समाप्त हो जाएगी। ये तुम्हें सुनिश्चित करना हैं। तुम्हारा बेटा, तुम्हारी बेटी पढ़ने जाते हैं लिखने जाते हैं, घूमने जाते हैं, दोस्तों के साथ मिलने जाते हैं कब जाते हैं कब आते हैं इसका तो ख्याल होना चाहिये। किस के साथ उठ बैठ रहे हैं। इसका तो ख्याल होना चाहिये, ये नहीं कि जब जाना है जाओ जब आना है आओ, कोई मतलब नहीं। कई बार माँ-बाप को पता ही नहीं रहता कि हमारा बच्चा कब जाता हैं और कब आ जाता हैं। ये घर की अव्यवस्था है। इससे घर की मर्यादाएं छिन्न-भिन्न होती हैं। सब कुछ नष्ट भ्रष्ट होता हैं। इसलिये इस मर्यादा को पुनः जाग्रत करना हैं पुनः प्रतिष्ठित करना हैं। उसे सुरक्षित रखने की कोशिश करना है। अधिक स्वतंत्रता जीवन में कभी नहीं होनी चाहिये। चौथी बात है- आलोचना। आलोचना मतलब क्रिटिसाइज अगर आप एक-दूसरे की आलोचना करोगे तो प्रेम नहीं बढ़ेगा। प्रायः लोग एक दूसरे के दोष निकालते रहते हैं। एक दूसरे की बुराइयाँ करते रहते हैं। चाहे जिससे कहो इसमें ये कमी उसमें ये कमी। संत कहते हैं ये कमी निकालने की प्रवृत्ति ही तुम्हारी सबसे बड़ी कमी है। किसी की क्रिटिसाइज मत करो। उसे प्रेरणा दो, प्रोत्साहन करो, आगे बढ़ाने की कोशिश करो। आलोचना करके तुम कभी आत्मीयता को नहीं बढ़ा सकते व्यक्ति को अच्छे प्रेरणा देकर उसे अपना जरूर बना सकते हो आज कल फैमिली मेनेजमेंट की बात कही जाती हैं बहुत सारे मोटिवेटर अपनी-अपनी तरह से बात करते हैं । कहाँ जाता हैं किसी को क्रिटिसाइज मत करो। क्रीटिगाइड करो। क्रिटिसाइज और क्रीटिगाइड में क्या अंतर हैं? क्रिटिसाइज करने का मतलब हैं- किसी ने कुछ कहा तुम सीधे से उसकी बखिया उधेड़ना शुरु कर दी, आलोचना करना शुरु कर दी, कमी, निकालना शुरु कर दी ये क्रिटिसाइज हैं।