दिव्य विचार: लोगों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: लोगों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आज समय बदल गया है। मल्टीमीडिया का युग है। एडवांस टेक्नोलॉजी के युग में आप जी रहे हैं। मुनि-महाराज बड़े धार्मिक आयोजन, बड़े प्रवचन कर रहे हैं, पर उनकी सभाओं में सम्मिलित होने वाले कितने? और घण्टाभर मुनियों के सान्निध्य में रहते हो और फिर तेईस घण्टे तो टी.वी. के सामने रहते हो और इन्टरनेट आदि में रमे रहते हो। असर किसका पड़ेगा? बढ़ती हुई उपभोक्तावादी सोच के कारण लोगों की प्राथमिकताएँ बदल गई। पहले लोग अपने उसूल को प्राथमिकता देते थे, अब पैसे कमाना और मौज मस्ती करना प्राथमिकता बन गई है। परिवर्तन आ गया है। सोच बदल गई, भावना बदल गई है। पहले कहते थे सबसे पहले धर्म, अब कहते हैं धर्म को मारो गोली, पहले पैसा कमाओ, पहले अपना कर्म करो। जब यह टेंडेंसी रहेगी तो फिर प्रभावना कहाँ रहेगी, जब भावना ही दूषित है तो प्रभावना कभी घटित नहीं हो सकती। अपनी भावना को जगाने की जरूरत है। पहले घर-परिवार के जो प्रमुख होते थे, उनकी बात कोई उठाता नहीं था, क्योंकि उनका ऐसा व्यक्तित्व होता था। वह जो बोलते थे उससे कई गुना खुद करते थे, तो घर में उनकी अहमियत रहती थी। आज वह खत्म हो गई है। बड़े बोलते हैं हमारी कोई सुनता ही नहीं। यह तो कहते हो कि हमारी कोई सुनता ही नहीं, पर कभी यह सोचा है कि क्यों नहीं सुनता? लोग तुम्हारी सुनें, तुमने उस लायक अपने आपको बनाया कहाँ है? लोग तुम्हारी सुनें, अपने आपको इस लायक बनाओ। आज भी बहुत सारे परिवार ऐसे हैं जिनके घर के प्रमुख ने जो कह दिया, वह सबके लिए पत्थर की लकीर हो जाती है। उनके इशारे के बिना पत्ता नहीं हिलता। किसके बल पर? उनके व्यक्तित्व में दम है। तुम सामने वाले से जो चाहते हो, उससे अच्छा तुम्हें खुद करना होगा। आज हमारे गुरुदेव इतने बड़े संघ का सञ्चालन करते हैं, उनकी किसी बात को टालने की हिम्मत किसी साधु की नहीं होती। क्यों?