दिव्य विचार: प्रोत्साहन और प्रेरणा देना सीखें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: प्रोत्साहन और प्रेरणा देना सीखें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आप जिनके साथ अपना सम्बन्ध रखना चाहते हैं, उनके प्रति प्रेम बढ़ाना चाहते हो तो अवसर पड़ने पर प्रशंसा करें, प्रेरणा दें और प्रोत्साहन दें। अच्छी प्रेरणा और समय पर प्रशंसा। अगर प्रेरणा, प्रशंसा और प्रोत्साहन की प्रवृत्ति आपके साथ जुड़ जाए तो आपके सम्बन्धों में माधुर्य आएगा। कुछ भी हो आप प्रेरणा दें, अच्छी प्रेरणा दें। एक दूसरे के लिए सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाने की कोशिश करें, हतोत्साहित न करें। कोई अच्छा काम करें तो उसकी जी भरकर प्रशंसा करें। विडम्बना यह है कि लोगों को जिनसे प्रशंसा की अपेक्षा होती है, वे प्रशंसा के एक शब्द भी नहीं बोलते। वह प्रशंसा को तरसता रह जाता है। सम्बन्ध आखिर मधुर बनेंगे कैसे? अपने सम्बन्धों में मधुरता लाना चाहते हो तो आप एक दूसरे की प्रशंसा करने की आदत डालिए। आपके अन्दर ऐसी आदत होगी तो आपके हृदय का सौहार्द अपने आप बढ़ेगा। आप सब का प्रेम बढ़ेगा। सौहार्द बढ़ाने के लिए आपको चाहिए कि सामने वाले की प्रशंसा करें, हृदय में उदारता लाइए। गलतियों को नजरअन्दाज करने की शक्ति विकसित करें। छोटी-मोटी गलतियों को नजरअन्दाज करें, अनदेखा करने की कोशिश करें, आपके सम्बन्ध मधुर होंगे। चौथी बात- मृदुभाषी बनो, यदि आपकी बोली में माधुर्य है तो सम्बन्धों में मधुरता स्वतः आ जाती है। मुख का माधुर्य हमारे जीवन में माधुर्य का रस घोलता है। अतः हम सभी से मृदुभाषी बनकर मधुरतापूर्ण व्यवहार करें। कर्कश, कठोर, मर्मघाती शब्दों का प्रयोग कभी न करें क्योंकि वचनों का हमारे सम्बन्धों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। एक शब्द है, जो हमें बाग-बाग कर देता है और एक शब्द है, जो हमारे हृदय में उत्पात मचा देता है। इस तरह सम्पर्क टूटने की बात, सम्बन्ध टूटने की बात, अब विश्वास टूटने की बात। किसी के साथ विश्वास जमाना आसान नहीं होता और जमा हुआ विश्वास एक बार टूट जाए तो वापस विश्वास जमाना बड़ा मुश्किल होता है।