दिव्य विचार: किस स्टेट्स के पीछे भागते हो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: किस स्टेट्स के पीछे भागते हो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि पहली ही क्लास पास नहीं तो दूसरी क्लास की बात क्या करें? अरे ! यह सब चलता है। 'चलता है' कहकर तुमने पूरे धर्म को ही चलता कर दिया। तुमने क्या पाया? चक्रवर्ती जैसे वैभवशाली लोगों ने भी धर्म को धारा तो अपने आचार, विचार और व्यवहार तीनों में उसे प्रतिबिम्बित किया। खासकर हमारे समाज के सम्पन्न घरानों में तो कोई आचरण ही नहीं बचा। वह अपने स्टेटस के पीछे भागते हैं, उसी स्टेटस को प्रभावना समझते हैं। ध्यान रखना, यह तुम्हारा बाहरी स्टेटस है, जो तुम्हें अधोगामी बनाएगा। अगर स्टेटस अच्छा बनाना है तो धर्म से बनाओ। यह बताओ कि तुम्हारा स्टेटस बड़ा है कि मेरा ? बोलो ! क्यों? मेरे पैसे के कारण? क्या मेरे पास बहुत पैसा है? क्या मेरे पास ठाट- बाट है? स्टेटस आचरण से बनता है कि पैसे से बनता है। फिर तुम पैसों के पीछे क्यों भागते हो? पैसों से अपना स्टेटस क्यों मानते हो? आचरण से अपना स्टेटस क्यों नहीं बनाते? वहाँ पर जब बात आती है तो अपने आपको पैसे वालों से क्यों तोलते हो? कितना अन्तर है! आज मैं किसी के घर अचानक चला जाऊँ तो पाँव धोकर आरती उतारेंगे और तुम किसी के घर में घुस जाओ तो धक्के मारकर बाहर निकालेगा। बोलो निकालेगा कि नहीं? बोलो होगा कि नहीं? तो स्टेटस किसका बड़ा है? (जनता-आपका)। फिर किस स्टेटस के पीछे मर रहे हो? आ जाओ, होड़ करना है तो हमसे करो। मेंटेन करो अपने स्टेटस को। सोचो कहाँ जा रहे हैं हम ? पुराने लोगों का स्टेटस उनके आचार, विचार, व्यवहार पर होता था। लोग किसी के घर सम्बन्ध करने जाते थे तो देखते थे कि उनका खानदान कैसा है, खान-पान कैसा है? आज की कहानी यह हो गई है कि किसी के यहाँ कुलाचार के प्रति प्रतिबद्धता है तो लोग अपनी बेटी देना नहीं चाहते। बोलते हैं उनके यहाँ बहुत सोला होता है। यह प्रभावना है? उनके यहाँ बहुत सोला होता है, उनके यहाँ जरूरत से ज्यादा धर्म है।