दिव्य विचार: संबंधो में माधुर्य नहीं दिखता- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आजकल उल्टा हो रहा है। जिनसे बचना चाहिए उन्हें गले लगा रहे हो और जिनको गले लगाना चाहिए उनको धक्का दे रहे हो। जीवन का सारा सम्बन्ध इससे तार-तार होता है। लोगो के सम्बन्धों में कहीं माधुर्य नहीं दिखता। आखिर हमारे सम्बन्धों में स्थिरता आएगी कैसे? सम्बन्ध काँच की भाँति है, जैसे तुम काँच के प्रति सावधान रहते हो वैसे सम्बन्धों के प्रति सावधान रहो। ध्यान रखना ! टूटे हुए कांच को गलाकर फिर वापस जमाया जा सकता है। टूटे हुए सम्बन्धों को गलाना, वापिस जमाना बड़ा मुश्किल है। क्योंकि काँच को तो सोलह सौ डिग्री टेंपरेचर में तपाने के बाद वापस गला लिया जाता है लेकिन व्यक्ति के सम्बन्ध टूटते हैं तो उसे वापस गला पाना मुश्किल है। क्योंकि काँच गल जाता है, व्यक्ति का अहं गल नहीं पाता। जब तक हम गलेंगे नहीं तब तक दोबारा हमारे सम्बन्ध स्थापित नहीं होंगे। वह बहुत कठिन है, इसलिए अपने जीवन में एक संकल्प लो कि मैं अपने जीवन में जहाँ तक होगा अपने सम्बन्धों को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश करूँगा, उसे कहीं से खण्डित नहीं होने दूंगा, उसे कहीं से प्रभावित नहीं होने दूंगा। मैं जब बचपन में पतंग उड़ाता था तो पतंग उड़ाते समय धागे में माँजा लगाते थे। माँजा क्यों लगाते थे क्योंकि जितना अच्छा माँजा होगा हमारा धागा उतना अच्छा, अटूट होगा। फिर पतंग उड़ाएँ तो कई-कई बार मैंने ऐसे भी पतंग उड़ाई कि एक-एक दिन में पच्चीस-पच्चीस पेच लड़ाई और मेरी पतंग आखिरी तक उड़ती रही, औरों की पेच कटती रही। मैंने भी पतंग उड़ाई है, लोग पतंग उड़ाते हैं। पतंग उड़ाने में धागे में माँजा लगाते हैं, माँजा सूतने से धागा मजबूत होता है। मैं तुम्हें तुम्हारे सम्बन्धों के धागे के लिए एक माँजा बताता हूँ उस माँजे को अपने सम्बन्धों की डोर में लगा लोगे तो तुम्हारे सम्बन्ध अटूट बन जाएँगे।