दिव्य विचार: स्वतंत्रता के साथ सीमाएं भी हों- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: स्वतंत्रता के साथ सीमाएं भी हों- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि धैर्य रखें शांति समता और स्थिरता का प्रयोग करें सब बातें अपने आप व्यवस्थित होगी। हम अपने जीवन की धारा को मोड़ने से समर्थ हो सकेंगे। वैसा प्रयास हमारा होना चाहिये। हम धीरे-धीरे अपने जीवन की दिशा को मोडने की कोशिश करें। तीसरी बात है- अधिक स्वतंत्रता । आजादी मिलनी चाहिये स्वतंत्रता मिलनी चाहिये, मैं इसका विरोधी नहीं हूँ, लेकिन जरूरत से ज्यादा स्वतंत्रता हो जाती हैं तो परिवारों के सदस्यों के मध्य सारी मर्यादाएं समाप्त हो जाती हैं। इस अधिक स्वतंत्रता से बचना चाहिये। आज कल के युवक युवतियों में खास कर ये भावना आती है। हम इनडिपेंड रहना चाहते हैं किसी पर डिपेंड नहीं होना चाहते। लेकिन अंकुश युक्त एक मर्यादा होनी चाहिये। आपने क्रिकेट देखा है, खेला भी होगा। क्रिकेट में बेट्समैन अपने क्रीज़ से बाहर नहीं जा सकता, उसे अपने क्रीज़ पर रहना पड़ता हैं। उसको नहीं छोड़ता, उसको छोड़ देगा तो आऊट हो जाएगा। लेकिन जितने फील्डर हैं वह जहाँ चाहे वहाँ दौड़ सकते हैं। उनके लिए कोई बन्धन नहीं, बेटमैन को पिच पर डटे रहने की मर्यादा हैं। फील्डर पूरे मैदान में चाहे जहाँ दौड़ सकता हैं। लेकिन फील्डर, बाउंड्री के बाहर हो जाए तो खेल का मजा खत्म। बाउंड्री के भीतर जितना दौड़ना है, दौड़े, इसमें भी एक बात और एम्पायर भी ठीक होना चाहिये, एम्पायर अगर पक्ष पाती हो तो मजा खराब हो जाता हैं। क्रिकेट की तरह परिवार में भी बाउंड्री लाइन हो मैं आपसे ये कहना चाहता हूँ आपके परिवार के जितने भी फील्डर हों उन्हें कितना भी दौड़ने दो, लेकिन एक बाउंड्री खींच दो तुम्हें इस बाउंड्री के बाहर नहीं जाना हैं। बाउंड्री के भीतर रहोगे तो घर की मर्यादा बनी रहेगी। और बाउंड्री का उल्लंघन कर दोगे तो सारी मर्यादाएँ समाप्त हो जाएगी। ये तुम्हें सुनिश्चित करना हैं। तुम्हारा बेटा, तुम्हारी बेटी पढ़ने जाते हैं लिखने जाते हैं, घूमने जाते हैं, दोस्तों के साथ मिलने जाते हैं कब जाते हैं कब आते हैं इसका तो ख्याल होना चाहिये।